वचन:
भजन संहिता 63:1
हे परमेश्वर, तू ही मेरा परमेश्वर है, मै प्रभात मे तेरा दर्शन करने जाऊंगा शुष्क और तप्त भूमी पर, जहां जल नहीं है, मेरा प्राण तेरे लिए प्यासा है, मेरी देह तेरे लिए अभिलाषित है.
अवलोकन:
यहाँ राजा दाऊद ने परमेश्वर के प्रति अपनी महान आवश्यकता पर बल दिया. वह परमेश्वर के लिए अपनी आवश्यकता ऐसे बताता है, मानो वह एक रेगिस्तान में है, और कहीं भी उसे पानी नहीं मिल रहा. वह कहता है कि, मेरा प्राण तेरे लिए प्यासा है! मैं सब – मेरा पूरा अस्तित्व मेरे जीवन में तुम्हारी उपस्थिति के लिए बेताब है. वह इस बार अपने दुश्मन से नहीं भाग रहा था की जिसके लिए उसे परमेश्वर की जरूरत थी; यह सिर्फ एक आंतरिक लालसा थी जो दाऊद को नहीं छोड़ रही थी. यह बात हमे अपने उन प्रार्थना की याद दिलाती है, जब हम यह कहते है “यीशू मुझे तेरी जरुरत है!”
कार्यान्वयन:
ऐसी बहुत सी चीजें हैं जो हमे लगती है कि हमारे जीवन मे हमे इनकी बहूत ही आवश्यकता है। हम किसी चीज पर अपना ध्यान लगाते हैं और खुद से कहते हैं कि हमें उसकी जरूरत है। हमे कुछ पसंद है, और हमे कहता है की… “मुझे वह चाहिए!” और फिर, अगर हम इसे प्राप्त भी करते है, तो एक- या दो मिनट के बाद वास्तव में उसकी कोई पूर्ति नहीं होती। फिर हमारा ध्यान किसी और चीज़ पर जाता है। यह कोई बहाना बहाना नही, लेकिन मुझे इसका संबंध मानव स्वभाव के साथ है. कुछ समय पहले, एक व्यक्ती था जो अपने देश मे सबसे धनी लोगों में से एक था, और वह अपने विशाल जहाज पर सैर करता था जो बहूत ही शानदार और महंगा था, लेकीन अब उसका ध्यान उसके कई अधिक शानदार चिजो के उपर लगने लगा, ऐसा लगता था कि वह अगली बात के बारे में सोच रहा था. इस बात से ऐसा लगता है जैसे उसका मन तृप्त नही हुआ। लेकिन, जब आपका जीवन वास्तव में यीशु के प्रेम और उद्धार से बदल जाता है, तो अपने शेष जीवन के लिए, आप दैनिक आधार पर कहेंगे, “यीशू मुझे तेरी जरूरत है!”
प्रार्थना :
प्रिय यीशू,
ऐसी बहुत सी चीजें हैं जो हमें लगती है कि हमारे जीवन में आवश्यक हैं, लेकिन अगर वे चीजें हमारे पास आती भी हैं, तो हम उनसे संतुष्ट या आशिषित नहीं होते हैं। लेकिन सबसे बढ़कर, हे प्रभु, हमें आज आपकी जरूरत है। जैसे दाऊद ने तेरी लालसा की, वैसे ही हमारा प्राण भी तेरा प्यासा है। इसलिए हम हमेशा कह रहे हैं, “यीशु मुझे तेरी जरूरत है!” यीशु के नाम से आमीन।