स्वीकृत, अस्वीकार नहीं

स्वीकृत, अस्वीकार नहीं

"एक ही"

यहोवा की शरण लेनी, मनुष्य पर भरोसा रखने से उत्तम है।

जब यीशु पृथ्वी पर था तब उसे अधिकांश लोगों की स्वीकृति या स्वीकृति प्राप्त नहीं थी। वह मनुष्यों द्वारा तिरस्कृत और अस्वीकार किया गया था। परन्तु वह जानता था कि उसका स्वर्गीय पिता उससे प्रेम करता है। वह जानता था कि वह कौन था, और इससे उसे आत्मविश्वास मिला।

यीशु ने जो कुछ भी सहा और सहा वह हमारे लिए था। वह अस्वीकृति से गुज़रा ताकि जब हम इसका सामना करें, तो हम भी इससे गुज़र सकें और इससे क्षतिग्रस्त न हों, या यदि हम पहले ही क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, तो हम पूरी तरह से ठीक हो सकें।

हमेशा कुछ लोग ऐसे होंगे जो आपको स्वीकार नहीं करेंगे, लेकिन अंततः उनकी स्वीकृति मायने नहीं रखती। परमेश्वर आपसे बिना शर्त प्यार करता है; वह आपका अनुमोदन करता है और आपको स्वीकार करता है। यह वह सारी स्वीकृति है जिसकी आपको सचमुच आवश्यकता होगी।

हे परमपिता परमेश्वर, मुझे प्यार करने के लिए धन्यवाद। कृपया मुझे अपने प्यार और स्वीकृति की याद दिलाएं, खासकर जब अस्वीकृति का सामना करना पड़ रहा हो। कृपया आपमें मेरा विश्वास मजबूत करें कि मैं कौन हूं, आमीन।