वचन:
याकूब 1:2,3
मेरे भाईयो और बहनो! जब आप पर अनेक प्रकार की विपत्तियाँ आएं, तब इसे बडे आनंद की बात समझिए। आप जानते हैं कि आपके विश्वास का इस प्रकार का परीक्षण धैर्य उत्पन्न करता है।
अवलोकन:
ये हमारे प्रभु के सौतेले भाई के वचन हैं। जैसा कि उसने लिखा था, वह इस तथ्य को समझ गया था कि इस्राएल के बारह गोत्र राष्ट्रों में बिखरे हुए थे। बेशक, इससे उसके लोगों के लिए आगे बढ़ना मुश्किल हो गया। जब वह शुरुआत में बारह गोत्रों के बारे में लिख रहा था, तो उसने उन्हें “सब प्रकार की परीक्षाओं में आनन्दित होने” के लिए कहा, क्योंकि आप जानते हैं कि जब आपके विश्वास की परीक्षा होगी, तो यह आपके जीवन में धैर्य का निर्माण करेगा।
कार्यान्वयन:
मुझे यकीन है कि यदि आप मेरे जैसे हैं और आपने इस परीच्छेद को पहले पढ़ा है, तो आपने सोचा होगा, “शुद्ध आनंद, वास्तव में क्यों?” क्योंकि आमतौर पर, जब मेरे सामने कोई संकट आता है, तो मैं तुरंत खुश नहीं होता। जब मैं इस पद को पढ़ता हूं, तो मैं एक आदमी को ऊपर और नीचे कूदते हुए देखता हूं, खुशी के लिए ताली बजाता हुआ देखता हूँ क्योंकि उसने अपनी कार को खराब कर दिया। वह खुश है और कूद रहा है क्योंकि वह जानता है कि यह भयानक दुर्घटना आगे बढ़ने वाली है। क्या वास्तव में? लेकिन याकूब ऐसा कहता है। गंभीरता से, याकूब इसे वैसा नहीं कहता जैसा मैंने कल्पना की थी। वह कहता हैं कि जब आप संकट का सामना करें तो रुक जाइए! संभालो हँडल को मत छोड़ो! पकड़ लो! और फिर याद रखें कि परमेश्वर ने इसे आपके धैर्य को मजबूत करने की अनुमति दी है। क्यों? क्योंकि यह छोटा सा प्रहार जीवन भर के प्रहारों की केवल शुरुआत है, जिनमें से प्रत्येक प्रहार आपके धीरज को बढ़ाएगा ताकि आप परमेश्वर पर भरोसा कर सकें, परमेश्वर के राज्य के लिए भारी बोझ ढो सके। तो एक बार फिर, “केवल आनंद, वास्तव में?” हाँ! वास्तव में!
प्रार्थना:
प्रिय यीशु,
जब मेरे जीवन में ऐसी स्थिति आती है, जब मुझे लगाता हैं की क्या होगा, मैं इससे कैसे निपटूंगा, तब मुझे शुद्ध आनंद करने के लिए तेरा अनुग्रह प्रदान करें। क्योंकि तेरा आनंद ही मेरी ताकत है। हे प्रभु जब संकट आए, तो मुझे स्थिर रख और फिर से खड़े होने में मेरी सहायता कर, क्योंकि मुझे धीरज प्राप्त होगा और तू मेरा अपने कार्यो में उपयोग करेगा। मुझे आनंद रहना सिखाने के लिए धन्यवाद। यीशु के नाम मे आमीन।