उन्होंने तारे भी बनाये।
कई गर्मियों तक, हमारे परिवार ने एक झील के पास समय बिताया, जहाँ हम रात में घाट पर लेटकर टूटते तारों को देखते थे। जब हम उसे देखते तो हम इशारा करते और उत्साह से हंसते। प्रकाश की उन चमक के बीच, हम आकाश में फैले सभी तारों को देखते हुए शांत हो जाते। हमने उनमें से कुछ को पहचान लिया, लेकिन उनमें से अधिकतर सितारों को हमने पहले कभी नहीं देखा था।
उत्पत्ति 1 से आज के हमारे पाठ में, सूर्य और चंद्रमा पर सबसे अधिक ध्यान दिया जाता है। लेकिन हमें बताया गया है कि परमेश्वर ने “सितारे भी बनाए।” यह ऐसा है मानो परमेश्वर ने रात के आकाश की पृष्ठभूमि में खरबों छोटे-छोटे छेद कर दिए हों। यहां तक कि सबसे अंधेरी रातों में भी, जब चंद्रमा कहीं दिखाई नहीं देता, तारे हमें याद दिलाते हैं कि परमेश्वर का प्रकाश अभी भी मौजूद है। अंधकार परमेश्वर की रोशनी पर विजय नहीं पा सकेगा।
बेशक, मैं चाहता हूँ कि मेरे जीवन में ईश्वर के कार्य सूर्य के समान उज्ज्वल, पूर्णिमा के चंद्रमा के समान स्पष्ट, या टूटते तारे के समान विस्मयकारी हों। लेकिन मैं अक्सर पृष्ठभूमि में परमेश्वर की वफादार उपस्थिति को नजरअंदाज कर देता हूं। सितारे हमें याद दिलाते हैं कि परमेश्वर हमेशा मौजूद हैं।
यह हमें यह भी याद दिला सकता है कि यीशु ने एक सामान्य रात को दुनिया में प्रवेश किया था और परमेश्वर ने उनके जन्म की घोषणा करने के लिए एक तारे का भी उपयोग किया था। अद्भुत! अँधेरे में आशा है क्योंकि परमेश्वर ने “तारे भी बनाए।”
सितारे बनाने के लिए धन्यवाद, परमेश्वर परमेश्वर। हमें उनके निरंतर अनुस्मारक की आवश्यकता है कि आप अंधेरी रातों में भी काम पर हैं। यीशु के लिए, आमीन।